Shodashi - An Overview

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In Yet another depiction of hers, she's revealed as being a sixteen-calendar year-outdated younger and sweet Lady decorated with jewels with a stunning shimmer plus a crescent moon adorned more than her head. She is sitting down to the corpses of Shiva, Vishnu, and Brahma.

षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥

सौवर्णे शैलश‍ृङ्गे सुरगणरचिते तत्त्वसोपानयुक्ते ।

सर्वानन्द-मयेन मध्य-विलसच्छ्री-विनदुनाऽलङ्कृतम् ।

सा मे दारिद्र्यदोषं दमयतु करुणादृष्टिपातैरजस्रम् ॥६॥

The Mahavidya Shodashi Mantra can be a powerful tool for the people searching for harmony in individual relationships, Artistic inspiration, and steerage in spiritual pursuits. Regular chanting fosters psychological therapeutic, boosts instinct, and assists devotees access increased knowledge.

ईक्षित्री सृष्टिकाले त्रिभुवनमथ या तत्क्षणेऽनुप्रविश्य

देवीभिर्हृदयादिभिश्च परितो विन्दुं सदाऽऽनन्ददं

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

लब्ध-प्रोज्ज्वल-यौवनाभिरभितोऽनङ्ग-प्रसूनादिभिः

Goddess also has the identify of Adi Mahavidya, which suggests the entire Model of truth. In Vedic mantras, she is called the Goddess who sparkles with The attractive and pure rays in the Sunshine.

Disregarding all warning, she went to the ceremony and found her father experienced began the ceremony with no her.

Goddess Shodashi is generally known as Lalita and Rajarajeshwari which suggests "the just one who plays" and "queen of queens" respectively.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता read more है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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